श्री गणेश आरती – ‘जय गणेश जय गणेश देवा’ का पाठ क्यों लाता है सौभाग्य और संकटों से मुक्ति
श्री गणेश जी की आरती का पाठ किसी भी पूजा का आवश्यक अंग माना गया है। यह आरती विशेष रूप से बुधवार और गणेश चतुर्थी पर की जाती है।
‘जय गणेश जय गणेश देवा’ – यह आरती ना सिर्फ श्री गणेश जी की महिमा का गुणगान है बल्कि जीवन के विघ्नों को दूर करने का अद्भुत साधन भी है। गणपति बप्पा को ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया है, जो किसी भी कार्य की सफलता के लिए पहले पूजनीय हैं।
आरती के समय गणेश जी के समक्ष दीपक जलाना, दूर्वा, मोदक और सिंदूर अर्पित करना अति आवश्यक है। यह आरती गाते समय ‘ताल’ और ‘घंटी’ के साथ भक्तिभाव से मन में श्रद्धा होनी चाहिए। इससे मन एकाग्र होता है और कार्यों में सफलता मिलती है।
यह आरती विशेष रूप से नई शुरुआत, विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार आरंभ या किसी भी शुभ कार्य से पहले की जाती है। माना जाता है कि इससे घर में सुख, शांति, विद्या और सौभाग्य बना रहता है।