शिव आरती – ‘जय शिव ओंकारा’ का नियमित पाठ कैसे करता है शांति, भक्ति और साधना की प्राप्ति
शिव की आरती ‘जय शिव ओंकारा’ तांडव और करुणा का अद्भुत संगम है। यह आरती साधना, शक्ति और मोक्ष की दिशा में अग्रसर करती है।
भगवान शिव को संहारक और पुनर्रचना का देवता माना जाता है। ‘जय शिव ओंकारा’ आरती में त्रिनेत्रधारी महादेव के प्रत्येक रूप का स्मरण किया जाता है। आरती करते समय शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, और रुद्राक्ष अर्पित किया जाता है।
सोमवार, महाशिवरात्रि, या सावन के किसी भी दिन इस आरती का पाठ अत्यंत फलदायक माना गया है। आरती के साथ शिव तांडव स्तोत्र का भी पाठ करने से साधना और गहन होती है।
भक्तों का मानना है कि शिव आरती का नियमित पाठ मन को शांत करता है, क्रोध को नियंत्रित करता है और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। यह आरती विशेष रूप से घर के वातावरण को पवित्र और नकारात्मकता से मुक्त करती है।