पूजा पाठ

सोमवार का व्रत और शिव पूजन: कैसे जलाभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र से होता है कष्टों का निवारण

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और यह दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। विशेष रूप से सावन माह में और शिवार्चन के लिए सोमवार का व्रत अत्यंत प्रभावी होता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह में देरी, पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं और मानसिक अशांति को दूर करने के लिए किया जाता है।

 

प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के पूजा स्थल पर शिवलिंग स्थापित करें या मंदिर जाएं। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, काले तिल और गन्ने का रस अर्पित करें। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, आक का फूल और सफेद चंदन चढ़ाएं। दीप जलाकर “ॐ नमः शिवाय” का जाप कम से कम 108 बार करें। इसके बाद “महामृत्युंजय मंत्र” –
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
का जाप कम से कम 11 माला तक करें।

यह पूजा मनोकामनाओं को पूर्ण करती है और जीवन में समस्त प्रकार की बाधाओं का नाश करती है। विशेषकर अगर यह व्रत लगातार 16 सोमवार तक किया जाए तो भगवान शिव की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। इस दिन व्रतधारी को केवल फलाहार करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

 

 

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