अक्षय तृतीया पर करें माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विशेष पूजन, जानें शुभ मुहूर्त और विधि
अक्षय तृतीया का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना जाता है। यह दिन हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस बार यह पर्व 10 मई 2025 को मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया को बिना किसी पंचांग देखे शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में स्थायी सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
इस दिन विशेष रूप से श्रीहरि विष्णु का जलाभिषेक, पीले पुष्पों से पूजन, और कनकधारा स्तोत्र अथवा श्रीसूक्त का पाठ करने की परंपरा है। श्रद्धालु घर पर कलश स्थापना कर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को पीले वस्त्र पहनाकर पूजा करते हैं। घी का दीपक जलाकर, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
पूजा के बाद गरीबों को दान देने की विशेष मान्यता है। अक्षय तृतीया पर ताम्बा, जल का घड़ा, चावल, वस्त्र, स्वर्ण, गौ, और अनाज का दान विशेष फलदायक माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया पुण्य और दान अक्षय (अर्थात् कभी समाप्त न होने वाला) होता है।
इस दिन से कई परिवारों में नई चीजें खरीदना, नए कार्य की शुरुआत, और शुभ निवेश का भी विशेष महत्व होता है। अक्षय तृतीया को त्रेता युग की शुरुआत, परशुराम जयंती, और गंगा अवतरण के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए यह दिन आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए और पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखा जाए, तो यह दिन जीवन की सभी नकारात्मकताओं को दूर कर आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक स्थायित्व प्रदान करता है।