झारखंड

झारखंड में बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी, आम जनता पर पड़ेगा 440 वोल्ट का झटका

झारखंड के लोगों के लिए मई महीने की शुरुआत एक बड़ी झटका लेकर आ रही है। राज्य में बिजली की नई दरें 1 मई 2025 से लागू हो जाएंगी और इसकी आधिकारिक घोषणा आज की जा रही है। बिजली दरों में इस बार 50 पैसे से लेकर ₹1 प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी संभावित बताई जा रही है, जिससे राज्य की आम जनता, खासकर मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं पर बड़ा असर पड़ने वाला है।

 

झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) द्वारा प्रस्तावित नई टैरिफ दरों को लेकर चर्चा पिछले कई दिनों से जारी थी, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में बिजली महंगी होने जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, बढ़ी हुई दरें राज्य भर के घरेलू उपभोक्ताओं, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और कृषि आधारित कनेक्शनों पर समान रूप से लागू होंगी। हालांकि, अंतिम दरें क्या होंगी, इसका खुलासा आज शाम तक झारखंड विद्युत नियामक आयोग (JERC) द्वारा कर दिया जाएगा।

बिजली दरों में यह वृद्धि ऐसे समय में की जा रही है जब पहले से ही राज्य में महंगाई, पेट्रोल-डीज़ल की दरों और घरेलू खर्चों ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली के बिल अब पहले से ज्यादा तनाव देने वाले होंगे, और इससे छोटे दुकानदार, किसान और किराए के घरों में रहने वाले परिवारों की परेशानियां और बढ़ेंगी।

बिजली विभाग का तर्क है कि राज्य में बिजली उत्पादन और खरीद लागत में वृद्धि के कारण यह कदम उठाना जरूरी हो गया था। विभाग के मुताबिक झारखंड को अन्य राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ती है, जिसकी दरें लगातार ऊपर जा रही हैं। ऐसे में पुरानी टैरिफ के हिसाब से बिजली की आपूर्ति करना घाटे का सौदा साबित हो रहा था।

राज्य सरकार इस बढ़ोतरी को “नियंत्रित और आवश्यक” बता रही है, लेकिन विपक्षी दलों और उपभोक्ता संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। झारखंड उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ने कहा कि यदि बिजली दरों में इतनी बढ़ोतरी की जाती है, तो जनता सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।

इस बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलेगा, जहां पहले से ही बिजली की आपूर्ति अस्थिर है और बिल भुगतान की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। अब जबकि नई दरें लागू होंगी, वहां के किसान और छोटे उद्योग धंधों को इसका सीधा आर्थिक प्रभाव झेलना होगा।

बिजली दरें भले ही तकनीकी आधार पर तय की जाती हों, लेकिन इनका असर सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर होता है। आगामी महीनों में यदि बिजली बिलों में भारी वृद्धि दिखती है, तो सरकार को जनता के असंतोष का सामना भी करना पड़ सकता है।

आज की घोषणा पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हुई हैं, और यह देखना होगा कि दरें वास्तव में कितनी बढ़ाई जाती हैं और क्या सरकार इस बोझ को कुछ राहत योजनाओं के ज़रिए कम करने की कोशिश करती है या नहीं।

 

 

 

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